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उत्तर प्रदेश के जूनियर डाक्टर आजकल हड़ताल पर हैं, क्योंकि सपा के एक विधायक ने कानपूर में उनके साथ गुंडा गिर्दी और मारपीट की है. इस करतूत का समर्थन नहीं किया जा सकता. लेकिन सवाल उन डाक्टरों पर भी उठते रहे हैं.
जिन लोगों का पाला सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों से पड़ा है वे जानते हैं कि ये सभी जूनियर और सीनियर डाक्टर मरीजों और उनके परिवारवालों के साथ हमेशा बदतमीजी से पेश आते हैं. जूनियर डाक्टरों का खून कुछ ज्यादा ही गर्म होता है, इसलिए वे खुलकर मनमानी करते हैं. यदि कोई व्यक्ति उनपर ऊँगली उठाता है, तो उसके साथ गुंडा गिर्दी करने से भी बाज नहीं आते. इसलिए सभी तीमारदार चुपचाप उनकी मनमानी सहते रहते हैं.
यह शायद पहली बार हुआ है कि किसी बड़े गुंडे ने उनके साथ गुंडागिर्दी की है. सेर को सवा सेर मिलना इसी को कहते हैं। इसीलिए डाक्टर उबल रहे हैं. उनको जनता के कष्ट से कोई मतलब नहीं है. मरीज मरते हैं तो मरें. वैसे भी डाक्टर किसी जेबकतरे और चोर-डकैत से कम नहीं होते. जहां भी संभव होता है वे मरीज का धन हरने की कोशिश करते हैं.
फिर भी किसी विधायक या पुलिस अधिकारी को यह अधिकार नहीं दिया जा सकता कि वह डाक्टरों या किसी भी अन्य के साथ गुंडा गिर्दी करे. उसको कठोर सजा मिलनी चाहिए. लेकिन यूपी में यह संभव नहीं है, क्योंकि वह विधायक सत्तारूढ़ पार्टी सपा का है और साथ में मुसलमान भी है. पुलिस अधिकारी भी यादव है। मुस्लिम-यादव वोट बैंक खोने के दर से अखिलेश सरकार उनके खिलाफ कुछ नहीं करेगी.
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