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गाँधी जयन्ती पर झूठ

खट्ठा-मीठा
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हर साल 2 अक्तूबर आता है और झूठ बोलने के चैनल चालू हो जाते हैं। यों तो मोहनदास कर्मचन्द गाँधी को ‘सत्य के पुजारी’ कहा जाता है, पर उनके ही नाम पर और उनके ही बारे में पूरी निर्लज्जता से झूठ बोले जाते हैं। यों तो उनके बारे में अनेक झूठे दावे किये जाते हैं, पर जो दो झूठ ज्यादा दोहराये जाते हैं, मैं यहाँ उनकी चर्चा करूँगा।

उनके बारे में सबसे पहला और सबसे बड़ा झूठ यह बोला जाता है कि उन्होंने और कांग्रेस ने देश को आजादी दिलायी। यह बिल्कुल गलत दावा है। आजादी के लिए गाँधी ने और उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने जितने भी आन्दोलन चलाये थे (1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन सहित) वे सभी बुरी तरह असफल रहे थे। ऐसे आन्दोलन चलाकर तो अगले 100 वर्ष में भी गाँधी और कांग्रेस देश को आजाद नहीं करा सकते थे। वास्तव में देश को आजादी क्रांतिकारियों के बलिदान और 1946 में हुए नौसेना विद्रोह के कारण मिली थी। उसके साथ ही दूसरे विश्व युद्ध में अंग्रेजों की कमर टूट जाना भी एक बड़ा कारण था। इसलिए अंग्रेजों ने अपने सभी उपनिवेशों को आजाद करने का निर्णय कर लिया था। 1947 के आस-पास के समय और भी अनेक देश अंग्रेजी दासता से मुक्त हुए थे, जैसे श्रीलंका, बर्मा, अफगानिस्तान, इस्रायल आदि, जहाँ न कोई गाँधी था और न कोई कांग्रेस जैसी पार्टी। इसलिए यह कहना सरासर झूठ है कि गाँधी या कांग्रेस ने आजादी दिलायी। कांग्रेस को केवल अंग्रेजों से सत्ता झटकने का श्रेय दिया जा सकता है, वह भी देश की हत्या करके। उस समय और कोई बड़ी पार्टी नहीं थी, इसलिए अंग्रेजों ने अपने पिट्ठू नेहरू और उसकी कांग्रेस को सत्ता सौंपकर चले जाना ही उचित समझा। इतना स्पष्ट सत्य होते हुए भी आज भी पूरी बेशर्मी से यह झूठ बोला जाता है कि गाँधी और कांग्रेस ने आजादी दिलायी।

गाँधी के बारे में दूसरा बड़ा झूठ यह बोला जाता है कि वे अहिंसा के पुजारी थे और आजादी अहिंसा से प्राप्त हुई। सत्य तो यह है कि गाँधी अहिंसा के नहीं बल्कि कायरता के पुजारी थे। तभी वे क्रांतिकारियों का विरोध करते थे। उन्होंने भगत सिंह आदि की फाँसी रुकवाने की कोई कोशिश नहीं की थी, बल्कि अंग्रेजों को वह ‘शुभ कार्य’ जल्दी कर डालने की सलाह दी थी। यह कहना भी गलत है कि आजादी अहिंसा से मिली। वास्तव में आजादी से पहले 1946 में नोआखाली आदि में भयंकर दंगे हुए थे, जिनमें हजारों-लाखों की जानें गयी। देश की हत्या होने के बाद भी पाकिस्तान के हिस्से में रहने वाले हिन्दुओं पर अमानुषिक अत्याचार हुए, जिनमें लाखों लोगों के प्राण गये। उस समय की नालायक नेहरू की सरकार तो उनको सुरक्षित भारत लाने का इंतजाम भी नहीं कर सकी और न गाँधी ने उनके लिए कुछ किया। इसलिए तथाकथित आजादी अहिंसा से नहीं बल्कि घोर हिंसा के बाद मिली थी।

ये सत्य हमारे स्कूलों में नहीं पढ़ाये जाते, बल्कि उनके दिमाग में यही झूठ भरे जाते हैं कि आजादी अहिंसा से और गाँधी के कारण मिली। अब यह झूठ बोलना बन्द कर दिया जाना चाहिए। अब उस गाँधी को इतिहास के कूड़े दान में फेंक देना चाहिए।

वन्दे मातरम् !

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