Menu
blogid : 12388 postid : 613084

हिन्दी ब्लॉगिंग के ‘हिंग्लिश’ स्वरूप का प्रभाव (Contest)

खट्ठा-मीठा
खट्ठा-मीठा
  • 83 Posts
  • 121 Comments

हिन्दी और अंग्रेजी शब्दों के मिले-जुले वाक्यों में लिखी गयी भाषा को बोलचाल में ‘हिंग्लिश’ कहा जाता है। इस ‘भाषा’ के दर्शन हम अनेक राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर के समाचारपत्रों में सुगमता से कर सकते हैं। यों तो बहुत से अंग्रेजी शब्द हिन्दी भाषा में इस प्रकार मिल गये हैं कि उनको अलग से पहचानना या उनके उपयोग से बचना असम्भव नहीं तो कठिन अवश्य है। उदाहरण के लिए, ‘फोन’ और ‘मोबाइल’ शब्दों को लीजिए। इनके लिए शुद्ध हिन्दी में क्रमशः ‘दूरभाष’ और ‘चल दूरभाष’ शब्द हैं, परन्तु उनका प्रयोग शायद ही कोई करता हो। इसलिए ‘फोन’ और ‘मोबाइल’ शब्दों का प्रयोग अखरता नहीं है, बल्कि सामान्य लगता है। इसी तरह के सैकड़ों शब्द हो सकते हैं, जिनका प्रचलन हिन्दी में रच-बस गया है।
लेकिन यह बात सभी अंग्रेजी शब्दों के लिए नहीं कही जा सकती। उदाहरण के लिए, ‘छात्र’ और ‘शिक्षक’ शब्दों का प्रयोग लम्बे समय से किया जा रहा है। लेकिन बहुत से समाचारपत्र इनकी जगह जानबूझकर क्रमशः ‘स्टूडेंट’ और ‘टीचर’ शब्दों का प्रयोग करते हैं, जो बहुत अखरता है। इससे भी ज्यादा झुंझलाहट तब होती है, जब ये समाचारपत्र ‘छात्रों’ और ‘शिक्षकों’ की जगह क्रमशः ‘स्टूडेंट्स’ और ‘टीचर्स’ लिखते हैं यानी हिन्दी व्याकरण का भी सत्यानाश करते हैं। ऐसी भाषा को ही व्यंग्यपूर्वक ‘हिंग्लिश’ कहा जाता है। हिन्दी में अंग्रेजी व्याकरण घुसेड़ने वाले ये लोग कभी भी अंग्रेजी में हिन्दी का व्याकरण नहीं डालते।
यह एक बिडम्बना है कि बहुत से लोग ‘आधुनिक’ दिखने की होड़ में ‘हिंग्लिश’ का धड़ल्ले से उपयोग करते हैं, बिना यह समझे कि इस प्रकार वे अपनी मूर्खता को ही प्रकट कर रहे हैं। हिन्दी के एक राष्ट्रीय समाचार पत्र के सम्पादक ने तो अपने पत्रकारों और संवाददाताओं को स्पष्ट आदेश दे रखे हैं कि हर वाक्य या लेख में 40 प्रतिशत अंग्रेजी शब्द अवश्य होने चाहिए। इस आदेश के कारण वह समाचारपत्र हिंग्लिश का जीता जागता नमूना बन गया है। उसकी देखा-देखी अन्य कई हिन्दी समाचारपत्रों ने भी अपने समाचारों और सम्पादकीयों में अंग्रेजी के शब्दों की मात्रा बढ़ा दी है और हिन्दी व्याकरण की टाँग तोड़ने लगे हैं।
यह बीमारी अब हिन्दी ब्लॉगिंग में भी घुस रही है। बहुत से ब्लॉगर जानबूझकर हिन्दी ब्लॉगों में अंग्रेजी के शब्दों का अधिकता से प्रयोग करने लगे हैं, वहाँ भी जहाँ उनकी कोई आवश्यकता नहीं है। यह प्रवृत्ति किसी भी रूप में हिन्दी ब्लॉग लेखन को कोई लाभ नहीं पहुँचा रही है, बल्कि उसको हास्यास्पद रूप दे रही है। हिन्दी भाषा में किसी भी भाव को प्रदर्शित करने के लिए शब्दों की कमी नहीं है, बल्कि उसका शब्द भंडार अंग्रेजी से बड़ा ही है। इसलिए अनावश्यक रूप से अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग हिन्दी में करना मूर्खता है। इससे ब्लॉग को स्वीकार्यता नहीं मिलेगी, बल्कि उसका उपहास ही होगा।
हिन्दी भाषा में हिन्दी शब्दों के माध्यम से हर प्रकार से विचार सशक्त विधि से व्यक्त किये जा सकते हैं। इसलिए जहाँ हिन्दी के सर्वप्रचलित और सरल शब्द उपलब्ध हैं वहाँ अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग करना गलत ही नहीं घोर अनुचित है। अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग केवल वहीं किया जाना चाहिए, जहाँ हिन्दी का प्रचलित शब्द उपलब्ध न हो। यदि इन बातों का ध्यान रखते हुए हिन्दी ब्लॉग लिखे जायेंगे, तो हिन्दी भाषा का गौरव बढ़ेगा और ब्लॉग को भी गम्भीरता से लिया जाएगा।
निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि हिन्दी ब्लॉगिंग में हिंग्लिश डालने से हिन्दी का स्वरूप बिगड़ेगा और उसका महत्व घट जाएगा। इसके स्थान पर हमें जहाँ तक सम्भव हो शुद्ध और सरल हिन्दी का प्रयोग करना चाहिए। सरल हिन्दी का प्रयोग करने से लोग हमारी बात को ज्यादा अच्छी तरह समझेंगे और ब्लॉग के पाठकों की संख्या बढ़ेगी। इससे हिन्दी ब्लॉगिंग का महत्व भी बढ़ेगा।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply