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अत्यंत लाभदायक “सलाद”

खट्ठा-मीठा
खट्ठा-मीठा
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कुछ दिन पहले मैंने अपने लेखों में तीन हानिकारक वस्तुओं – चाय, चीनी और नमक – की चर्चा की थी. इनके साथ दो अत्यन्त लाभदायक वस्तुओं की चर्चा करना आवश्यक है, जो हमारे भोजन का आवश्यक अंग होनी चाहिए। ये वस्तुएँ हैं- सलाद और अंकुरित अन्न। यहाँ मैं सलाद की चर्चा कर रहा हूँ, अंकुरित अन्न के बारे में अगली बार.

सलाद को कच्ची खायी जाने वाली सब्जियों, जैसे खीरा, ककड़ी, गाजर, मूली, टमाटर, प्याज, चुकंदर, पालक, पातगोभी, गाँठगोभी आदि तथा फलों जैसे पपीता, तरबूज, खरबूज, सेब, अमरूद, केला आदि के टुकड़ों द्वारा तैयार किया जाता है. किसी भी मौसम में इनमें से जो भी वस्तुएं उपलब्ध हों, उनको धोकर और आवश्यक होने पर छिलका उतारकर छोटे-छोटे टुकड़े काट लें। फिर उन पर जरा सा सैंधा नमक और पिसी हुई काली मिर्च बुरक लें। ऊपर से थोड़ा नीबू का रस निचोड़ लें। इसी को सलाद कहते हैं। इसके विशिष्ट स्वाद की कल्पना बिना खाये नहीं की जा सकती। यदि सैंधा नमक, काली मिर्च तथा नीबू नहीं भी हो, तो भी चलेगा।

सलाद हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। इसमें पाचन क्रिया को सुधारने और पेट साफ रखने में सहायता करने वाले रेशे होते हैं। इसलिए इसे भोजन का अनिवार्य अंग होना चाहिए। यदि हम एक-दो रोटी कम करके उसके स्थान पर सलाद लें, तो स्वास्थ्य में चमत्कारी सुधार मालूम होगा। प्रमुख प्राकृतिक और सत्व चिकित्सक मेरठ के स्वामी जगदीश्वरानन्द जी सलाद को ‘साल्हाद’ कहते हैं, क्योंकि इसे प्रसन्नता के साथ खाया जाता है। इसको खाने का सही तरीका यह है कि सलाद को भोजन में सबसे पहले खा लेना चाहिए और उसके बाद ही अन्य वस्तुएँ खानी चाहिए।

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